BA Semester-1 Pracheen Bhartiya Itihas - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास - सरल प्रश्नोत्तर समूह
लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास

बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2636
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास

प्रश्न- वैदिक कालीन आर्थिक जीवन का विवरण दीजिए।

अथवा
वैदिक काल के आर्थिक जीवन के विषय में आप क्या जानते हैं? उस पर एक निबन्ध लिखिए।
अथवा
वैदिक अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं की विवेचना कीजिए।

उत्तर-

पूर्व वैदिक कालीन आर्यों की सभ्यता एक ग्रामीण सभ्यता थी। ग्राम ही आर्थिक संगठन का मुख्य आधार था। जिसमें कृषि तथा पशुपालन की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। ग्राम के चारों ओर चारागाह थे। इन चारागाहों में सम्पूर्ण ग्राम के पशु चरते थे। चारागाह के चारों ओर अरण्य थे। कृषिकर्म की प्रधानता थी। ऋग्वेद में यव और धान का उल्लेख मिलता है। हल से खेती होती थी, ऐसा अनुमान लगाया जाता है। कृषक वर्षा पर निर्भर रहते थे। ऋग्वेद में कई स्थलों पर वर्षा के लिए प्रार्थना की गई है। कुएँ के जल से भी सिंचाई होती थी। ऋग्वेद में नहरों का भी उल्लेख मिलता है। कृषि ही समृद्धि का आधार थी। पशुपालन भी एक मुख्य उद्यम था। पशुधन की वृद्धि के लिए देवताओं से प्रार्थना की जाती थी। गाय का भी आर्थिक महत्त्व था। दूध और गोबर देने के अतिरिक्त गाय मुद्रा की भाँति प्रयुक्त होती थी। गौओं के लेन-देन से वस्तुएँ खरीदी और बेची जा सकती थीं। गाय दक्षिणा में भी दी जाती थी। दूध, माँस और खाल के लिए भैंस भी पालतू पशु थी। भेड़ और बकरी से भी आर्य लोग परिचित थे। घोड़ा उन लोगों का परम उपयोगी पशु था। युद्ध में उसकी विशेष उपयोगिता थी। घोड़ा भी दान-दक्षिणा में दिया जाता था और कदाचित् उसका माँस भी खाया जाता था। हाथी का प्रयोग भी वे लोग लड़ाई में करते थे गाड़ी और रथ खींचने में घोड़ा और ऊँट के साथ बैलों का भी व्यवहार होता था। पालतू पशुओं में कुत्ता, सुअर, गदहा और हिरण भी प्रमुख थे।। कृषि और पशुपालन के सिवा कुछ शिल्प भी प्रचलित थे। बढ़ई या रथकार का काम बड़े महत्त्व का था। वे लोग ही युद्ध के लिए रथ, कृषि के लिए हल और गाड़ी बनाते थे। युद्ध की सामग्री तैयार करने के कारण लोहार-कर्म्मार का काम भी बड़े गौरव का था। अयस् का व्यवहार वे लोग जानते थे। चमड़ा रंगने और ऊनी कपड़ा बुनने के शिल्पों का भी बड़ा गौरव था। स्त्रियाँ चटाई आदि भी बनाती थीं। शिल्पियों की स्थिति साधारणतः विशः से कुछ ऊँची होती थी। प्रत्येक ग्राम में कृषकों के साथ-साथ सूत आदि भी थे। वे बुद्धिमान और मनीषी माने जाते थे और उनकी स्थिति लगभग ग्रामणी के बराबर होती थी। शिल्पकारों का पेशा सम्मानजनक था।

पशुपालन और कृषि के अतिरिक्त आखेट भी इनकी आजीविका का साधन था। धनुष-बाण, जाल- फंदा इत्यादि इनके आखेट सम्बन्धी हथियार थे। गृह उद्योग, शिल्प और दस्तकारी की भी काफी प्रगति हुई थी। लकड़ी पर सुन्दर नक्काशी का काम भी होता था। लोहा, सोना चाँदी से ये लोग अच्छी तरह परिचित थे। कपड़े के लिए वस्त्र, वास और वसन शब्दों का व्यवहार ऋग्वेद में हुआ है। सूत, रेशम और ऊन के कपड़ों का प्रचलन था। व्यावसायिक संघ के रूप में ऋग्वेद में 'गण' और 'व्रात' शब्द का व्यवहार हुआ है। सुवर्णकार, रथकार, चर्मकार, रंगरेज, जुलाहे, रज्जुकार, रजक, कुम्हार, लोहार, गायक, नर्तक, सूत, व्याध, मछुए, गोप, कर्षक, वेणुकार रसोइए, कलाबाज, महावत आदि अनेक शिल्पों का उल्लेख मिलता है। पूर्ववैदिकालीन भारत के निवासियों का विदेशों से व्यापारिक सम्बन्ध था, इसका प्रमाण ऋग्वेद से मिलता है। पणि नामक विनिमय करने वाले व्यापारियों का उल्लेख मिलता है। नदियाँ पार करने के लिए नावें चलती थीं। सिन्धु और समुद्र में जाने वाली नावों का उल्लेख मिलता है। पश्चिम में 'बाबुली' और 'काल्दी' लोगों के साथ वैदिक आर्यों का जलमार्ग से सम्पर्क था। वैदिक व्यापार पणि नामक लोगों के हाथ में था। व्यापार वस्तु--विनिमय के रूप में होता था। गाय मूल्य की प्रामाणिक इकाई थी, परन्तु स्वर्ण के प्रचलित होने का प्रमाण भी मिलता है। दोनों की सूची में एक सुवर्ण 'मना' का उल्लेख ऋग्वेद में है, जिसकी एकरूपता कुछ लोग बैबिलोन की तौल की इकाई 'मनः' से मानते हैं। सौ पतवारों वाले जहाज से यात्रा करने वाले समुद्रयात्रियों का भी उल्लेख मिलता है। ऋग्वेद में एक ऐसे नाविक की कथा मिलती है, जो कहीं सुदूर समुद्र में असहाय और परेशान था क्योंकि उसका जलयान टूट चुका था विदेशी व्यापार जलमार्ग से होता था और आन्तरिक व्यापार बहुधा गाड़ियों से। 'वणिक' शब्द का व्यवहार भी पूर्व वैदिक काल मंए मिलता है।

आर्यों की अचल सम्पत्ति प्रधान रूप से पशु था। जंगल साफ करके खेती की जमीन बनाई जाती थी। खरीद-बिक्री के सम्बन्ध में विद्वानों में अब भी मतभेद है। मुद्रा का प्रचलन था, परन्तु उसकी गतिशीलता के सम्बन्ध में सन्देह की गुंजाइश इसलिए है कि वस्तु विनिमय ही विशेष रूप से प्रचलित था। भूमि भी व्यक्तिगत पारिवारिक सम्पत्ति में शामिल थी। युद्ध के विजय के बाद शत्रु की जीती हुई भूमि 'जन' में बँट जाती होगी, ऐसा अनुमान लगाया जाता है। व्यक्तिगत सम्पत्ति होने के बावजूद जमीन का विनिमय और व्यापार नहीं के बराबर होता था। जंगम सम्पत्ति का लेन-देन काफी था। ऋण लेन-देन की प्रथा थी। ऋण न चुकाने पर ऋणी दास बन सकता था।

उत्तर वैदिक काल -

उत्तर वैदिक काल में आर्थिक क्षेत्र में काफी प्रगति हुई। इस युग में 24 बैलों तक से हल खींचा जाता था। गोबर को खाद के रूप में प्रयुक्त किया जाता था। यव, धान, गेहूँ, तिल, आदि की खेती होती थी। 'तैत्तरीय संहिता' में खेती के सम्बन्ध में कुछ बातें इस प्रकार हैं- यव जाड़े में बोया जाता है और गर्मी में काटा जाता है, धान वर्षा में बोया जाता है और शरद ऋतु में कटता है। विधिवत बोए और काटे जाने की नियमावली इस काल में बन चुकी थी। प्राकृतिक विपत्तियों से दुर्भिक्ष भी पड़ते थे। टिड्डी-दल-जनित एक ऐसे ही अकाल का संकेत उपनिषदों में है। व्यापार में काफी प्रगति हुई थी। शतपथ ब्राह्मण में जल प्रलय की जो कथा है, उसके आधार पर यह अनुमान लगाया गया है कि उन दिनों भारत और बैबीलोनिया का सम्बन्ध बड़ा गहरा था। निष्क' के अतिरिक्त 'सतमान' और 'कृष्णल' जैसे सिक्कों का प्रचलन और व्यवहार भी शुरू हो चुका था। व्यापारियों ने गुणों के रूप में अपने संगठन बनाने शुरू कर दिये थे। अनेक नए धन्धे निकल रहे थे। उद्योग-धन्धों में श्रम विभाजन बढ़ रहा था। यदुर्वेद में विभिन्न पेशों की विस्तृत गणना है। इसी समय से नाई और ज्योतिषियों के पेशे शुरू होते हैं। वाजसनेयी संहिता में व्यवसायियों का वर्णन इस प्रकार है- मछुआ, सारथी, व्याध, गड़ेरिया, धीवर, स्वर्णकार, मणिकार, सरसी बटने वाला, टोकरी बुनने वाला, धोबी, लोहार, कुम्हार, नाई, रंगसाज, जुलाहा, खटिक आदि।

शतपथ ब्राह्मण में नट और बाँसुरी बजाने वालों का भी उल्लेख है। धातुओं में सोना, पीतल, लोहा, तांबा और सीसे का उल्लेख है। सीसे का प्रयोग बटसरे के रूप में होता था। चांदी का प्रयोग आभूषणों के लिए होता था। इस युग में हाथी पालने का भी उल्लेख मिलता है। नाव के माध्यम से विदेशी व्यापार होता था। कर्ज की प्रथा भी चल पड़ी थी। विभिन्न प्रकार के व्यवसायों में काफी उन्नति हुई थी। आर्थिक क्षेत्र में आशातीत उन्नति स्वाभाविक ही थी, क्योंकि बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए कृषि एवं व्यवसाय में प्रगति लाना अनिवार्य हो गया था।

अब तक भी अधिकतर लोग गाँवों में ही रहते थे। धनीमनी व्यक्तियों की संख्या बढ़ती जा रही थी। हो सकता है, नागरिक जीवन का सूत्रपात भी हो गया हो, परन्तु तत्कालीन साहित्य के अध्ययन से यही स्पष्ट होता है कि बड़े-बड़े लोग छोटे-छोटे लोगों को हटा कर गाँवों पर अपना-अपना अधिकार कायम करने, के प्रयास में लगे हुए थे। भूमि हस्तांतरित करने की सार्वजनिक स्वीकृति नहीं मिलती थी। भूमि विभाजन भी सजातीय लोगों की अनुमति से ही किया जा सकता था। इस समय तक व्यापारियों का एक वर्ग बन चुका था। कृषि प्रमुख उद्यम थी क्योंकि इसी के द्वारा अन्न उत्पन्न होता था। तैत्तरीय उपनिषद् में अन्न को ब्रह्मा कहा गया है, क्योंकि अन्न से समस्त प्राणी उत्पन्न होते हैं, अन्न से इसका जीवन चलता है और ये विनष्ट होकर अन्न में ही मिल जाते हैं और उसी में एकरूपता प्राप्त करते हैं। उसी उपनिषद् में अधिक अन्न उपजाने की बात कही गयी थी। अथर्ववेद में कहा गया है, सर्वप्रथम पृथ्वीवैन्य ने हल और कृषि को ही जन्म दिया था। कृषि के साथ पशुपालन पर विशेष ध्यान दिया जाता था।

कपास का उल्लेख तो इस काल में भी नहीं मिलता परन्तु 'ऊन' शब्द का प्रयोग बहुत बार हुआ है। 'क्षौम' वस्त्र का प्रयोग धनी लोग करते थे। 'सन' का भी उल्लेख मिलता है। ब्रह्मचारी और तपस्वी त्वचा और चर्म के वस्त्र धारण करते थे। चरखों-करघों का प्रयोग भी इस युग में शुरू हो चुका था। मिट्टी के घड़े, प्याले, तश्तरियाँ आदि भी इस युग में चाक का बर्तन थे। चिकित्साशास्त्र में यंत्र-मंत्र का विशेष स्थान था। व्यावसायिक संघों के होने का संकेत भी 'श्रेष्ठ' शब्दों में मिलता है। श्रेष्ठि व्यावसायिक संघ का संभवतः अध्यक्ष होता था। 'श्रेष्ठि' शब्द का उल्लेख ऐतरेय ब्राह्मण में मिलता है। 'गण' और 'गणपति' भी व्यावसायिक संघ की ओर संकेत करते हैं।

इस समय विनिमय के साधन के रूप में निष्क, शतमान और... का प्रचलन हो चुका था लेकिन वस्तु विनिमय की प्रणाली भी प्रचलति रही।

...पीछे | आगे....

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने हेतु उपयोगी स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों / लेखकों के विवरण की क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- पुरातत्व के विषय में बताइए। पुरातत्व के अन्य उप-विषयों व उसके उद्देश्य व सिद्धान्तों से अवगत कराइये।
  4. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  5. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं?
  6. प्रश्न- भास की कृति "स्वप्नवासवदत्ता" पर एक लेख लिखिए।
  7. प्रश्न- 'फाह्यान पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  8. प्रश्न- दारा प्रथम तथा उसके तीन महत्वपूर्ण अभिलेख के विषय में बताइए।
  9. प्रश्न- आपके विषय का पूरा नाम क्या है? आपके इस प्रश्नपत्र का क्या नाम है?
  10. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
  12. प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
  13. प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए
  14. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के विषय में आप क्या समझते हैं?
  15. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के सामाजिक व्यवस्था व आर्थिक जीवन का वर्णन कीजिए।
  16. प्रश्न- सिन्धु नदी घाटी के समाज के धार्मिक व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  17. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की राजनीतिक व्यवस्था एवं कला का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के नामकरण और उसके भौगोलिक विस्तार की विवेचना कीजिए।
  19. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की नगर योजना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- हड़प्पा सभ्यता के नगरों के नगर- विन्यास पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  21. प्रश्न- हड़प्पा संस्कृति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोगों की शारीरिक विशेषताओं का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
  23. प्रश्न- पाषाण प्रौद्योगिकी पर टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के सामाजिक संगठन पर टिप्पणी कीजिए।
  25. प्रश्न- सिंधु सभ्यता के कला और धर्म पर टिप्पणी कीजिए।
  26. प्रश्न- सिंधु सभ्यता के व्यापार का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  27. प्रश्न- सिंधु सभ्यता की लिपि पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  28. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता में शिवोपासना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  29. प्रश्न- सैन्धव धर्म में स्वस्तिक पूजा के विषय में बताइये।
  30. प्रश्न- ऋग्वैदिक अथवा पूर्व वैदिक काल की सभ्यता और संस्कृति के बारे में आप क्या जानते हैं?
  31. प्रश्न- विवाह संस्कार से सम्पादित कृतियों का वर्णन कीजिए तथा महत्व की व्याख्या कीजिए।
  32. प्रश्न- वैदिक काल के प्रमुख देवताओं का परिचय दीजिए।
  33. प्रश्न- ऋग्वेद में सोम देवता का महत्व बताइये।
  34. प्रश्न- वैदिक संस्कृति में इन्द्र के बारे में बताइये।
  35. प्रश्न- वेदों में संध्या एवं ऊषा के विषय में बताइये।
  36. प्रश्न- प्राचीन भारत में जल की पूजा के विषय में बताइये।
  37. प्रश्न- वरुण देवता का महत्व बताइए।
  38. प्रश्न- वैदिक काल में यज्ञ का महत्व बताइए।
  39. प्रश्न- पंच महायज्ञ' पर टिप्पणी लिखिए।
  40. प्रश्न- वैदिक देवता द्यौस और वरुण पर टिप्पणी लिखिए।
  41. प्रश्न- वैदिक यज्ञों की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- वैदिक देवता इन्द्र के विषय में लिखिए।
  43. प्रश्न- वैदिक यज्ञों के सम्पादन में अग्नि के महत्त्व को व्याख्यायित कीजिए।
  44. प्रश्न- उत्तरवैदिक कालीन धार्मिक विश्वासों एवं कृत्यों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  45. प्रश्न- वैदिक काल में प्रकृति पूजा पर एक टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- वैदिक संस्कृति की विशेषताएँ बताइये।
  47. प्रश्न- अश्वमेध पर एक टिप्पणी लिखिए।
  48. प्रश्न- आर्यों के आदिस्थान से सम्बन्धित विभिन्न मतों की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- ऋग्वैदिक काल में आर्यों के भौगोलिक ज्ञान का विवरण दीजिए।
  50. प्रश्न- आर्य कौन थे? उनके मूल निवास स्थान सम्बन्धी मतों की समीक्षा कीजिए।
  51. प्रश्न- वैदिक साहित्य से आपका क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख अंगों की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
  52. प्रश्न- आर्य परम्पराओं एवं आर्यों के स्थानान्तरण को समझाइये।
  53. प्रश्न- वैदिक कालीन धार्मिक व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  54. प्रश्न- ऋत की अवधारणा का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- वैदिक देवताओं पर एक विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  56. प्रश्न- ऋग्वैदिक धर्म और देवताओं के विषय में लिखिए।
  57. प्रश्न- 'वेदांग' से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व की विवेचना कीजिए।
  58. प्रश्न- वैदिक कालीन समाज पर प्रकाश डालिए।
  59. प्रश्न- उत्तर वैदिककालीन समाज में हुए परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
  60. प्रश्न- उत्तर वैदिक काल में शासन प्रबन्ध का वर्णन कीजिए।
  61. प्रश्न- उत्तर वैदिक काल के शासन प्रबन्ध की रूपरेखा पर प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- वैदिक कालीन आर्थिक जीवन का विवरण दीजिए।
  63. प्रश्न- वैदिक कालीन व्यापार वाणिज्य पर एक निबंध लिखिए।
  64. प्रश्न- वैदिक कालीन लोगों के कृषि जीवन का विवरण दीजिए।
  65. प्रश्न- वैदिक कालीन कृषि व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- ऋग्वैदिक काल के पशुपालन पर टिप्पणी लिखिए।
  67. प्रश्न- वैदिक आर्यों के संगठित क्रियाकलापों की विवेचना कीजिए।
  68. प्रश्न- आर्य की अवधारणा बताइए।
  69. प्रश्न- आर्य कौन थे? वे कब और कहाँ से भारत आए?
  70. प्रश्न- भारतीय संस्कृति में वेदों का महत्त्व बताइए।
  71. प्रश्न- यजुर्वेद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  72. प्रश्न- ऋग्वेद पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  73. प्रश्न- वैदिक साहित्य में अरण्यकों के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
  74. प्रश्न- आर्य एवं डेन्यूब नदी पर टिप्पणी लिखिये।
  75. प्रश्न- क्या आर्य ध्रुवों के निवासी थे?
  76. प्रश्न- "आर्यों का मूल निवास स्थान मध्य एशिया था।" विवेचना कीजिए।
  77. प्रश्न- संहिता ग्रन्थ से आप क्या समझते हैं?
  78. प्रश्न- ऋग्वैदिक आर्यों के धार्मिक विश्वासों के बारे में आप क्या जानते हैं?
  79. प्रश्न- पणि से आपका क्या अभिप्राय है?
  80. प्रश्न- वैदिक कालीन कृषि पर टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- ऋग्वैदिक कालीन उद्योग-धन्धों पर टिप्पणी लिखिए।
  82. प्रश्न- वैदिक काल में सिंचाई के साधनों एवं उपायों पर एक टिप्पणी लिखिए।
  83. प्रश्न- क्या वैदिक काल में समुद्री व्यापार होता था?
  84. प्रश्न- उत्तर वैदिक कालीन कृषि व्यवस्था पर टिप्पणी लिखिए।
  85. प्रश्न- उत्तर वैदिक काल में प्रचलित उद्योग-धन्धों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए?
  86. प्रश्न- शतमान पर एक टिप्पणी लिखिए।
  87. प्रश्न- ऋग्वैदिक कालीन व्यापार वाणिज्य की विवेचना कीजिए।
  88. प्रश्न- भारत में लोहे की प्राचीनता पर प्रकाश डालिए।
  89. प्रश्न- ऋग्वैदिक आर्थिक जीवन पर टिप्पणी लिखिए।
  90. प्रश्न- वैदिककाल में लोहे के उपयोग की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- नौकायन पर टिप्पणी लिखिए।
  92. प्रश्न- सिन्धु घाटी की सभ्यता के विशिष्ट तत्वों की विवेचना कीजिए।
  93. प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोग कौन थे? उनकी सभ्यता का संस्थापन एवं विनाश कैसे.हुआ?
  94. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की आर्थिक एवं धार्मिक दशा का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- वैदिक काल की आर्यों की सभ्यता के बारे में आप क्या जानते हैं?
  96. प्रश्न- वैदिक व सैंधव सभ्यता की समानताओं और असमानताओं का विश्लेषण कीजिए।
  97. प्रश्न- वैदिक कालीन सभा और समिति के विषय में आप क्या जानते हैं?
  98. प्रश्न- वैदिक काल में स्त्रियों की स्थिति का वर्णन कीजिए।
  99. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के कालक्रम का निर्धारण कीजिए।
  100. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विस्तार की विवेचना कीजिए।
  101. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता का बाह्य जगत के साथ संपर्कों की समीक्षा कीजिए।
  102. प्रश्न- हड़प्पा से प्राप्त पुरातत्वों का वर्णन कीजिए।
  103. प्रश्न- हड़प्पा कालीन सभ्यता में मूर्तिकला के विकास का वर्णन कीजिए।
  104. प्रश्न- संस्कृति एवं सभ्यता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  105. प्रश्न- प्राग्हड़प्पा और हड़प्पा काल का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- प्राचीन काल के सामाजिक संगठन को किस प्रकार निर्धारित किया गया व क्यों?
  107. प्रश्न- जाति प्रथा की उत्पत्ति एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  108. प्रश्न- वर्णाश्रम धर्म से आप क्या समझते हैं? इसकी मुख्य विशेषताएं बताइये।
  109. प्रश्न- संस्कार शब्द से आप क्या समझते हैं? उसका अर्थ एवं परिभाषा लिखते हुए संस्कारों का विस्तार तथा उनकी संख्या लिखिए।
  110. प्रश्न- प्राचीन भारतीय समाज में संस्कारों के प्रयोजन पर अपने विचार संक्षेप में लिखिए।
  111. प्रश्न- प्राचीन भारत में विवाह के प्रकारों को बताइये।
  112. प्रश्न- प्राचीन भारतीय समाज में नारी की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  113. प्रश्न- वैष्णव धर्म के उद्गम के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  114. प्रश्न- महाकाव्यकालीन स्त्रियों की दशा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  115. प्रश्न- पुरातत्व अध्ययन के स्रोतों को बताइए।
  116. प्रश्न- पुरातत्व साक्ष्य के विभिन्न स्रोतों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  117. प्रश्न- पुरातत्वविद् की विशेषताओं से अवगत कराइये।
  118. प्रश्न- पुरातत्व के विषय में बताइए। पुरातत्व के अन्य उप-विषयों व उसके उद्देश्य व सिद्धान्तों से अवगत कराइये।
  119. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  120. प्रश्न- पुरातात्विक स्रोतों से प्राप्त जानकारी के लाभों से अवगत कराइये।
  121. प्रश्न- पुरातत्व को जानने व खोजने में प्राचीन पुस्तकों के योगदान को बताइए।
  122. प्रश्न- विदेशी (लेखक) यात्रियों के द्वारा प्राप्त पुरातत्व के स्रोतों का विवरण दीजिए।
  123. प्रश्न- पुरातत्व स्रोत में स्मारकों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  124. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  125. प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
  126. प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
  127. प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  128. प्रश्न- "सभ्यता का पालना" व "सभ्यता का उदय" से क्या तात्पर्य है?
  129. प्रश्न- विश्व में नदी घाटी सभ्यता के विकास पर प्रकाश डालिए।
  130. प्रश्न- चीनी सभ्यता के विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  131. प्रश्न- जियाहू एवं उबैद काल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  132. प्रश्न- अकाडिनी साम्राज्य व नॉर्ट चिको सभ्यता के विषय में बताइए।
  133. प्रश्न- मिस्र और नील नदी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  134. प्रश्न- नदी घाटी सभ्यता के विकास को संक्षिप्त रूप से बताइए।
  135. प्रश्न- सभ्यता का प्रसार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  136. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विस्तार के विषय में बताइए।
  137. प्रश्न- मेसोपोटामिया की सभ्यता पर प्रकाश डालिए।
  138. प्रश्न- सुमेरिया की सभ्यता कहाँ विकसित हुई? इस सभ्यता की सामाजिक संरचना पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डालिए।
  139. प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता के भारतवर्ष से सम्पर्क की चर्चा कीजिए।
  140. प्रश्न- सुमेरियन समाज के आर्थिक जीवन के विषय में बताइये। यहाँ की कृषि, उद्योग-धन्धे, व्यापार एवं वाणिज्य की प्रगति का उल्लेख कीजिए।
  141. प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  142. प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता की लिपि का विकासात्मक परिचय दीजिए।
  143. प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता की प्रमुख देनों का मूल्यांकन कीजिए।
  144. प्रश्न- प्राचीन सुमेरिया में राज्य की अर्थव्यवस्था पर किसका अधिकार था?
  145. प्रश्न- बेबीलोनिया की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? इस सभ्यता की सामाजिक.विशिष्टताओं का उल्लेख कीजिए।
  146. प्रश्न- बेबीलोनिया के लोगों की आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
  147. प्रश्न- बेबिलोनियन विधि संहिता की मुख्य धाराओं पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  148. प्रश्न- बेबीलोनिया की स्थापत्य कला पर प्रकाश डालिए।
  149. प्रश्न- बेबिलोनियन सभ्यता की प्रमुख देनों का मूल्यांकन कीजिए।
  150. प्रश्न- असीरियन कौन थे? असीरिया की सामाजिक व्यवस्था का उल्लेख करते हुए बताइये कि यह समाज कितने वर्गों में विभक्त था?
  151. प्रश्न- असीरिया की धार्मिक मान्यताओं को स्पष्ट कीजिए। असीरिया के लोगों ने कला एवं स्थापत्य के क्षेत्र में किस प्रकार प्रगति की? मूल्यांकन कीजिए।
  152. प्रश्न- प्रथम असीरियाई साम्राज्य की स्थापना कब और कैसे हुई?
  153. प्रश्न- "असीरिया की कला में धार्मिक कथावस्तु का अभाव है।' स्पष्ट कीजिए।
  154. प्रश्न- असीरियन सभ्यता के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  155. प्रश्न- प्राचीन मिस्र की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? मिस्र का इतिहास जानने के प्रमुख साधन बताइये।
  156. प्रश्न- प्राचीन मिस्र का समाज कितने वर्गों में विभक्त था? यहाँ की सामाजिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  157. प्रश्न- मिस्र के निवासियों का आर्थिक जीवन किस प्रकार का था? विवेचना कीजिए।
  158. प्रश्न- मिस्रवासियों के धार्मिक जीवन का उल्लेख कीजिए।
  159. प्रश्न- मिस्र का समाज कितने भागों में विभक्त था? स्पष्ट कीजिए।
  160. प्रश्न- मिस्र की सभ्यता के पतन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  161. प्रश्न- चीन की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? इस सभ्यता के इतिहास के प्रमुख साधनों का उल्लेख करते हुए प्रमुख राजवंशों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  162. प्रश्न- प्राचीन चीन की सामाजिक व्यवस्था का उल्लेख कीजिए।
  163. प्रश्न- चीनी सभ्यता के भौगोलिक विस्तार का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  164. प्रश्न- चीन के फाचिया सम्प्रदाय के विषय में बताइये।
  165. प्रश्न- चिन राजवंश की सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book